Wednesday, October 17, 2007

अर्ज़ किया hai

इश्क वोह आग है
जो जलाये ना जले
और बुजाहे ना बुझे।

पत्ता पत्ता बूटा बूटा
हाल हमारा जाने है
जाने ना जाने
गुल ही ना जाने
बाघ तो सारा जाने है।

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